बीजापुर के दिवंगत पत्रकार मुकेश चंद्राकर की अस्थियों को शनिवार को तेलंगाना के कालेश्वरम स्थित गोदावरी नदी में उनके बड़े भाई यूकेश चंद्राकर और पुरुषोत्तम चंद्राकर ने विधिपूर्वक विसर्जित किया। मुकेश की हत्या को लेकर पूरे देश में गुस्सा और आक्रोश फैल गया है। उनकी हत्या के बाद परिवार और पत्रकार समुदाय में गहरा दुख और असंतोष है।
मुकेश चंद्राकर की हत्या: एक दिल दहला देने वाली घटना
1 जनवरी को मुकेश चंद्राकर की हत्या कर दी गई थी, और उनका शव सेप्टिक टैंक में फेंक दिया गया था। इस जघन्य अपराध ने न केवल बीजापुर बल्कि पूरे देश को हिला दिया। पत्रकारों के लिए यह घटना एक गंभीर चेतावनी है और उनकी सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम
मुकेश चंद्राकर की आत्मा की शांति के लिए 15 जनवरी को बीजापुर प्रेस क्लब में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसके साथ ही अम्बेडकर भवन में शांति भोज का कार्यक्रम भी रखा गया है। इस कार्यक्रम में पत्रकार, स्थानीय नागरिक और जनप्रतिनिधि भाग लेंगे।
यह घटना न केवल पत्रकारिता समुदाय के लिए बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। सभी की नजरें अब इस मामले में होने वाली कानूनी कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।
नक्सलियों का आरोप
मुकेश की हत्या को लेकर नक्सलियों के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो की प्रवक्ता समता ने एक प्रेस नोट जारी किया। नक्सली प्रवक्ता का कहना है कि सड़क निर्माण में धांधलियों को छुपाने के लिए ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने मुकेश की हत्या करवाई।
नक्सली नेता ने यह भी आरोप लगाया कि 2016 में भाजपा सरकार ने सुरेश चंद्राकर को 50 करोड़ रुपये का सड़क निर्माण ठेका दिया था, जबकि 2019 में कांग्रेस सरकार ने बिना स्पष्ट कारण बताए ठेके की राशि 120 करोड़ रुपये कर दी। इसके बाद, भाजपा सरकार ने बिना किसी जांच के भुगतान कर दिया।
नक्सली प्रवक्ता ने सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि वह पत्रकारिता को दबाने के लिए डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन बिल के नाम पर एक नया कानून बनाने की तैयारी कर रही है। उन्होंने मुकेश चंद्राकर के हत्यारों को कड़ी सजा देने की मांग की और इस संघर्ष में पत्रकारों के साथ खड़े रहने का वादा किया।