गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 139 पद्म पुरस्कारों की घोषणा की है, जिसमें 7 पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्मश्री पुरस्कार शामिल हैं। इन पद्म पुरस्कारों में एक विशेष सम्मान अरुंधति भट्टाचार्य को भी मिला है। उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है। अरुंधति भट्टाचार्य भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की पूर्व अध्यक्ष और भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण शख्सियत हैं। आइए जानते हैं उनके जीवन के बारे में।
शिक्षा: शुरुआत से सफलता तक का सफर
अरुंधति भट्टाचार्य का जन्म 18 मार्च 1956 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा कोलकाता में की और फिर लेडी ब्रेबॉर्न कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। साइंस में रुचि होने के कारण उन्होंने कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया, लेकिन कॉलेज में हॉस्टल की सुविधा न होने के कारण वे यह कोर्स नहीं कर पाईं। इसके बाद, उन्होंने अपने करियर को लेकर नए विचार अपनाए और अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर करने का निर्णय लिया। हालांकि, किस्मत ने उन्हें एक अलग दिशा दी।
करियर की शुरुआत: एक बैंकर बनने का सफर
अरुंधति भट्टाचार्य ने बैंक प्रोबेशनरी ऑफिसर (PO) की परीक्षा दी और इसे पास किया। इसके बाद उनकी यात्रा SBI से शुरू हुई, जहां उन्होंने 40 साल तक अपनी सेवाएं दीं। उनकी पहली नियुक्ति कोलकाता की अलीपुर SBI शाखा में हुई थी। इसके बाद उन्होंने उप-प्रबंध निदेशक, कार्पोरेट विकास अधिकारी और मुख्य महाप्रबंधक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
SBI की अध्यक्ष बनीं अरुंधति
8 अक्टूबर, 2013 को अरुंधति भट्टाचार्य ने SBI के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला। वह SBI के इतिहास में पहली महिला अध्यक्ष बनीं। उनके नेतृत्व में बैंक को तकनीकी रूप से सुदृढ़ बनाया गया और डिजिटल परिवर्तन की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। उनके कार्यकाल में, SBI ने भारत के शीर्ष 3 सर्वश्रेष्ठ कार्यस्थलों में से एक का दर्जा हासिल किया।
बदलाव और प्रौद्योगिकी
अरुंधति भट्टाचार्य ने SBI में डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बैंक के कार्यप्रणाली में कई बदलाव किए। उनके नेतृत्व में, SBI ने बैड लोन के बोझ को कम करने के साथ-साथ बैंक को और अधिक चुस्त और आधुनिक बनाने के लिए कई पहल की। उनकी नेतृत्व क्षमता की बदौलत SBI ने 50 करोड़ से अधिक ग्राहकों को अपनी सेवाएं दी।
सम्मान और पुरस्कार
अरुंधति भट्टाचार्य की मेहनत और सफलता को वैश्विक स्तर पर भी सराहा गया है। 2016 में फोर्ब्स ने उन्हें दुनिया की 25वीं सबसे ताकतवर महिला के रूप में सम्मानित किया था। इसके अलावा, हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू में उनका साक्षात्कार प्रकाशित हुआ था, जिसमें उन्हें ‘अरुंधति भट्टाचार्य: द मेकिंग ऑफ SBI फर्स्ट वूमन चेयरपर्सन’ के रूप में जाना गया।
उनकी कार्यशैली और नेतृत्व के कारण उन्हें ग्लोबल इकोनॉमी अवार्ड से भी नवाजा गया है।