पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI), ने हाल ही में अपने 4 शीर्ष अधिकारियों को बांग्लादेश की राजधानी ढाका भेजा है। यह घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि ISI की गुप्त गतिविधियाँ और बांग्लादेश में इसके संभावित प्रभाव से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है।
भारत का बयान
इस घटनाक्रम के बाद, भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में क्षेत्रीय घटनाओं पर करीबी नजर रखे हुए है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हम देश और क्षेत्र में हो रही सभी गतिविधियों पर नजर रखते हैं, खासकर उन पर जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकती हैं। अगर जरूरत पड़ी तो हम उचित कार्रवाई करेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा, “भारत एक लोकतांत्रिक, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश का समर्थन करता है, और हम दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए काम करना चाहते हैं ताकि हमारे लोग समृद्ध हो सकें।”
ISI के अधिकारियों की बांग्लादेश यात्रा
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, पाकिस्तान ने बांग्लादेश के सैन्य प्रतिनिधिमंडल के पाकिस्तान दौरे के बाद अपने चार वरिष्ठ अधिकारियों को ढाका भेजा है। इस दल में ISI के विश्लेषण के महानिदेशक, मेजर जनरल शाहिद आमिर अफसर भी शामिल हैं, जो पहले चीन में पाकिस्तान के रक्षा अताशे के रूप में कार्य कर चुके हैं।
भारत के लिए चिंता का कारण
भारत के लिए यह घटनाक्रम इसलिए चिंता का विषय है क्योंकि बांग्लादेश में जब शेख हसीना प्रधानमंत्री थीं, तब ISI की गुप्त गतिविधियों पर रोक लगा दी गई थी। इसके साथ ही बांग्लादेश में पाकिस्तान के राजनीतिक हस्तक्षेप और चरमपंथी तत्वों के समर्थन के कारण कई आरोपियों के खिलाफ मुकदमे भी चलाए गए थे।
अब, मुहम्मद युनूस की सरकार के तहत ISI के बांग्लादेश पहुंचने से भारत में डर पैदा हो गया है, कि यह घटनाक्रम बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा समस्याओं को जन्म दे सकता है, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।