पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन के बाद, देशभर में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है, और राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।
आज, 28 दिसंबर को, दिल्ली के निगमबोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, राजनाथ सिंह और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। भूटान के राजा और विदेश मंत्री ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनके सम्मान में सेना ने 21 गन फायर की सलामी दी।
मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल गणमान्य लोग
मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा स्पीकर, रक्षा मंत्री, गृह सचिव, कैबिनेट सचिव और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) सहित कई शीर्ष नेता और सरकारी अधिकारी शामिल हुए। उनकी अंतिम यात्रा कांग्रेस कार्यालय से शुरू होकर लगभग 11 किलोमीटर का सफर तय करते हुए निगमबोध घाट पहुंची। इस दौरान राहुल गांधी अपने परिवार के साथ आर्मी सेरेमोनियल ट्रक पर बैठे रहे।
मनमोहन सिंह का स्मारक बनाने का फैसला
केंद्र सरकार ने मनमोहन सिंह की स्मृति में एक स्मारक बनाने का फैसला लिया है। गृह मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी दी है। कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष की ओर से स्मारक के लिए स्थान आवंटित करने का अनुरोध प्राप्त हुआ था। इसके बाद कैबिनेट बैठक में इस पर निर्णय लिया गया, और गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मनमोहन सिंह के परिवार को स्मारक के लिए जगह आवंटित करने की जानकारी दी।
मनमोहन सिंह के योगदान और आर्थिक सुधार
मनमोहन सिंह को विशेष रूप से 1990 के दशक में किए गए आर्थिक सुधारों के लिए याद किया जाएगा। जब देश की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में थी, तब उन्होंने आर्थिक उदारीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने नई औद्योगिक नीति पेश की, जिससे कारोबारियों के लिए सहुलत मिली।
उनके नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), सूचना का अधिकार (RTI), और शिक्षा का अधिकार (RTE) जैसे बड़े और परिवर्तनकारी सुधार भी दर्ज हैं, जिन्होंने देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को मजबूत किया।