देश के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार सुबह 11:45 बजे दिल्ली के निगम बोध घाट पर होगा। इससे पहले, उनके अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर कांग्रेस मुख्यालय में रखा गया।
इस समय, डॉ. सिंह के संघर्षों की चर्चा भी ज़ोरों पर है। उनकी बेटी दमन सिंह ने उनके कठिन दिनों का ज़िक्र अपनी किताब में किया है, जो हमें उनकी मेहनत और सादगी से परिचित कराती है।
कैम्ब्रिज में संघर्ष के दिन
1950 के दशक में, मनमोहन सिंह ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से छात्रवृत्ति पर पढ़ाई की। उनकी बेटी दमन सिंह ने बताया कि उन दिनों पैसों की तंगी के कारण कई बार उन्हें भूखे पेट सोना पड़ता था। कभी-कभी, वह सिर्फ कैडबरी की चॉकलेट खाकर अपना दिन निकालते थे।
दमन सिंह ने 2014 में अपनी किताब ‘स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण’ में लिखा, “उनके लिए पैसे की कमी सबसे बड़ी समस्या थी। छात्रवृत्ति से मिलने वाले पैसे उनकी ज़रूरतों के लिए काफी नहीं थे।”
डिग्री के लिए संघर्ष
डॉ. सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से छात्रवृत्ति लेकर कैम्ब्रिज में अर्थशास्त्र ऑनर्स की डिग्री प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। लेकिन उनकी बेटी ने बताया कि उनकी पढ़ाई और रहने का सालाना खर्च 600 पाउंड था, जबकि छात्रवृत्ति से सिर्फ 160 पाउंड मिलते थे। इस वजह से उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
उधार लेने से बचते रहे
दमन सिंह ने लिखा, “मनमोहन सिंह बहुत सादगी से जीते थे। वह बाहर खाना नहीं खाते थे और पैसों की कमी होने पर खाना तक छोड़ देते थे। उन्होंने जीवनभर किसी से उधार नहीं लिया। लेकिन पढ़ाई के दौरान उन्हें एक बार ऐसा करने की नौबत आई, जब उन्होंने अपने दोस्त मदन लाल सूदन से मदद मांगी।”