मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा मोड़ आया है। 20 साल बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर नजर आए। दोनों नेताओं ने मुंबई के वर्ली में ‘मराठी एकता विजय रैली’ निकाली। यह रैली उस समय निकाली गई है जब महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को थोपने को लेकर विवाद चल रहा है।
हालांकि इस रैली में कांग्रेस और NCP (शरद पवार गुट) शामिल नहीं हुए।
🗣️ राज ठाकरे बोले – “बालासाहेब नहीं कर पाए, फडणवीस ने हमें एक किया”
राज ठाकरे ने कहा,
“हमें एक करने में बालासाहेब नाकाम रहे, लेकिन फडणवीस ने हमें जोड़ दिया। आज मैं और उद्धव 20 साल बाद एक साथ खड़े हैं। महाराष्ट्र को कोई अलग नहीं कर सकता।”
राज ने केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए कहा कि,
“हिंदी अच्छी भाषा है, लेकिन इसे किसी पर थोपा नहीं जा सकता। बच्चों पर दबाव डालना गलत है। जो राज्य हिंदी नहीं बोलते, वो आर्थिक रूप से मजबूत हैं।”
🗣️ उद्धव ठाकरे बोले – “हमने कभी हिंदुत्व नहीं छोड़ा, लेकिन हिंदी नहीं चलेगी”
उद्धव ठाकरे ने कहा,
“हमारी ताकत एकजुटता में है। सत्ता आती-जाती रहती है लेकिन साथ रहना जरूरी है।”
उन्होंने कहा कि वे देश और हिंदुत्व के साथ हैं, लेकिन हिंदी को जबरदस्ती लागू करना स्वीकार नहीं करेंगे।
📚 रैली की वजह क्या है?
अप्रैल 2025 में महाराष्ट्र सरकार ने सभी स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बना दिया था। यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लिया गया था।
इस फैसले के खिलाफ राज और उद्धव ठाकरे दोनों सामने आए और रैली की घोषणा की। विवाद बढ़ने के बाद सरकार ने यह आदेश वापस ले लिया।
🕰️ ठाकरे बंधु अलग क्यों हुए थे?
राज ठाकरे, बालासाहेब ठाकरे के भतीजे हैं। पहले वह शिवसेना में नंबर 2 की भूमिका में थे। माना जाता था कि वे पार्टी की कमान संभालेंगे।
लेकिन बालासाहेब ने उद्धव ठाकरे को उत्तराधिकारी बना दिया। इससे नाराज होकर राज ने 2005 में शिवसेना छोड़कर MNS बनाई।
अब इतने सालों बाद दोनों नेताओं में सुलह के संकेत दिखे हैं, और इसी का उदाहरण है यह ‘मराठी एकता रैली’।