भारत के पूर्व दिग्गज स्पिन गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन, जिन्होंने तीनों प्रारूपों में मिलाकर 287 मैचों में 765 विकेट लिए, को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा। उन्हें क्रिकेट में दिए गए उनके योगदान के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है। अश्विन ने लगभग 15 साल तक भारतीय टीम के लिए क्रिकेट खेला। आइए उनके शानदार सफर और करियर पर नजर डालते हैं।
अश्विन का क्रिकेट सफर
कैसे बने स्पिन गेंदबाज?
अश्विन ने 9 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। शुरुआत में वह सलामी बल्लेबाज और तेज गेंदबाज थे।
एक बार तेज गेंदबाजी करते हुए थक जाने के बाद उन्होंने अपने कोच से स्पिन गेंदबाजी करने की इच्छा जताई।
उनकी स्पिन कोच को पसंद आई और इसके बाद उन्होंने पूरी तरह स्पिन पर ध्यान केंद्रित किया।
भारतीय टीम में चयन
घरेलू क्रिकेट से IPL और फिर अंतरराष्ट्रीय टीम तक का सफर
अश्विन ने 2006 में तमिलनाडु के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया।
उनकी पहचान 2010 के IPL सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के लिए शानदार प्रदर्शन के बाद बनी, जहां उन्होंने 12 मैचों में 13 विकेट लिए।
इसके तुरंत बाद उन्हें भारतीय टीम में सीमित ओवरों के क्रिकेट के लिए मौका मिला।
टेस्ट करियर में अश्विन का जलवा
अश्विन ने 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला।
106 टेस्ट मैचों की 200 पारियों में 537 विकेट लिए।
37 बार 5 विकेट हॉल लिया और उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 7/59 रहा।
बल्लेबाजी में भी शानदार योगदान दिया, 3,503 रन बनाए, जिसमें 6 शतक और 15 अर्धशतक शामिल हैं।
रिकॉर्ड्स और उपलब्धियां
टेस्ट में भारत के लिए दूसरे सबसे ज्यादा विकेट (537) लेने वाले गेंदबाज।
टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा 5 विकेट हॉल (37 बार) लेने के मामले में शेन वॉर्न के बराबर।
भारत की टेस्ट जीत में सबसे ज्यादा विकेट (374) लेने का रिकॉर्ड।
2011 वनडे विश्व कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे।
वनडे और टी-20 में प्रदर्शन
116 वनडे मैचों में 156 विकेट, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 4/25।
65 टी-20 अंतरराष्ट्रीय में 72 विकेट, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 4/8।
रविचंद्रन अश्विन का क्रिकेट करियर शानदार रहा है और पद्मश्री सम्मान उनके योगदान का सच्चा सम्मान है।