डोंगरगढ़। चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू हो रही है, और इसके लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इस बार घी में मिलावट की आशंका के कारण डोंगरगढ़ के मां बम्लेश्वरी मंदिर और राजनांदगांव के पाताल भैरवी मंदिर में घी के ज्योति कलश जलाने पर रोक लगा दी गई है।
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए डोंगरगढ़ रेलवे स्टेशन पर 10 एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव दिया गया है। ये ट्रेनें 30 मार्च से 6 अप्रैल तक यहां रुकेंगी, जिससे भक्तों को यात्रा में आसानी होगी।
दंतेवाड़ा के मां दंतेश्वरी मंदिर में इस नवरात्रि 6 हजार ज्योति कलश जलाए जाएंगे। भक्त 1100 रुपए में तेल का ज्योति कलश और 2100 रुपए में घी का ज्योति कलश जलवा सकते हैं।
छत्तीसगढ़ के सभी शक्तिपीठों और देवी मंदिरों में नवरात्रि की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। भक्तों के लिए LIVE दर्शन, ऑनलाइन ज्योति कलश सेवा और ठहरने की सुविधाएं मंदिर प्रबंधन द्वारा सुनिश्चित की गई हैं।
मां बम्लेश्वरी मंदिर का इतिहास
डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर आस्था और श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है। यहाँ दो मंदिर हैं—बड़ी बम्लेश्वरी और छोटी बम्लेश्वरी।
मंदिर का इतिहास करीब 2000 साल पुराना है। इसे कभी वैभवशाली कामाख्या नगरी के रूप में जाना जाता था। कहा जाता है कि मध्य प्रदेश के उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी मां बम्लेश्वरी थीं।
इतिहासकारों के अनुसार, यह क्षेत्र कल्चुरी काल का है। मंदिर की अधिष्ठात्री देवी मां बगलामुखी हैं, जिन्हें मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। यहां वे मां बम्लेश्वरी के रूप में पूजी जाती हैं।