बिलासपुर। ईएसआईसी योजना के तहत इलाज करा रही एक गरीब महिला के साथ हुई कथित चिकित्सीय लापरवाही को लेकर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने बिलासपुर के लालचंदानी अस्पताल और आरबी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की जांच रिपोर्ट को अमान्य घोषित कर दिया है।
महिला का आरोप है कि डॉक्टरों ने बाएं पैर की जगह गलती से दाएं पैर का ऑपरेशन कर दिया। जब इस गंभीर लापरवाही का विरोध किया गया, तो बिना उचित तैयारी के जल्दबाजी में बाएं पैर का भी ऑपरेशन कर दिया गया।
कोर्ट ने क्यों खारिज की रिपोर्ट?
हाईकोर्ट ने पाया कि –
जांच समिति विधिसम्मत तरीके से गठित ही नहीं की गई थी
समिति का नेतृत्व डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी को करना चाहिए था, जो नहीं किया गया
अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन नहीं हुआ
इस वजह से कोर्ट ने कहा कि ऐसी जांच रिपोर्ट की कोई कानूनी वैधता नहीं है।
कोर्ट ने कलेक्टर को आदेश दिया है कि नियम 18 के तहत नई उच्चस्तरीय समिति बनाकर 4 माह में जांच पूरी करे।
पीड़िता क्या कहती है?
याचिकाकर्ता शोभा शर्मा ने बताया—
उन्होंने पहले लालचंदानी अस्पताल, दयालबंद में उपचार कराया था
बाद में उन्हें आरबी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस भेजा गया
लेकिन डॉक्टरों ने गलत पैर (दाएं पैर) का ऑपरेशन कर दिया
विरोध करने पर बिना टेस्ट और तैयारी के बाएं पैर का भी ऑपरेशन कर दिया गया
दोनों ऑपरेशनों के बाद भी न तो दर्द कम हुआ और न ही चलने में सुधार। बल्कि उनकी हालत बिगड़ती चली गई और आज तक वे भारी दर्द और शारीरिक समस्या से जूझ रही हैं।
हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी
अदालत ने कहा कि—
गलत तरीके से बनी समिति की रिपोर्ट कानूनी रूप से मान्य नहीं
ऐसी रिपोर्ट को किसी मामले में सबूत या आधार नहीं माना जा सकता
