सुप्रीम कोर्ट ने सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन को दी बड़ी राहत, जाने क्या है मामला? - News4u36
   
 
सुप्रीम कोर्ट ने सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन को दी बड़ी राहत, जाने क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट ने सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन को दी बड़ी राहत, जाने क्या है मामला?

Supreme Court on Isha Foundation: आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन को सुप्रीम कोर्ट से एक महत्वपूर्ण राहत मिली है। मद्रास हाईकोर्ट के हालिया आदेश के खिलाफ ईशा फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। मामला तब तूल पकड़ा जब हाईकोर्ट ने सोमवार को ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों की जानकारी पुलिस को देने का निर्देश दिया था। यह आदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एस. कामराज द्वारा दायर हैबियस कॉर्पस याचिका के सुनवाई के दौरान आया।

कामराज ने अपनी याचिका में यह आरोप लगाया था कि उनकी दो शिक्षित बेटियों का ब्रेनवॉश कर उन्हें ईशा फाउंडेशन के योग केंद्र में रखा गया है। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने जा रहे हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “आप किसी ऐसे संस्थान में पुलिसकर्मियों की फौज नहीं भेज सकते।” उन्होंने यह भी बताया कि वे चैंबर में ऑनलाइन मौजूद दोनों महिलाओं से बात करेंगे।

अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अपने पास ट्रांसफर कर दिया है और जांच की स्थिति रिपोर्ट जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में जमा होगी। अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी।

क्या है विवाद का मूल?

सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस ने कामराज की बेटियों से बातचीत की, जिन्होंने स्पष्ट किया कि वे अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही हैं और जब चाहें वहां से बाहर आ सकती हैं। इसके बावजूद कामराज ने यह आरोप लगाया कि उनकी बेटियों को बंधक बना लिया गया है, जिसके चलते हाईकोर्ट ने जांच का आदेश दिया था। अब, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है।

ईशा फाउंडेशन की प्रतिक्रिया

ईशा फाउंडेशन ने स्पष्ट किया है कि प्रोफेसर की दोनों बेटियां 42 और 39 वर्ष की हैं और उन्होंने अपनी मर्जी से फाउंडेशन के साथ रहने का निर्णय लिया है। फाउंडेशन का कहना है कि वे संन्यास लेने या विवाह न करने के लिए किसी पर दबाव नहीं डालते; यह पूरी तरह से व्यक्तिगत निर्णय है। उनके योग केंद्र में हजारों लोग रहते हैं, जो न केवल संन्यासी हैं, बल्कि कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी इच्छानुसार ब्रह्मचर्य या संन्यास का निर्णय लिया है।

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