रायपुर। भारतमाला मुआवजा घोटाले में जेल में बंद आरोपी हरमीत सिंह खनूजा का एक और बड़ा ज़मीन घोटाला सामने आया है। खनूजा ने रायपुर के पंडरीतराई इलाके में लगभग सवा चार एकड़ ज़मीन (लगभग 25 करोड़ रुपये मूल्य की) को फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए अपने नाम करवा लिया।
जांच में सामने आया है कि यह ज़मीन ग्राम सेवा समिति रायपुर के नाम पर थी, लेकिन फर्ज़ी हक त्याग पत्र और 60 साल पुराने कागज़ों की कूटरचना के ज़रिए इसे अपने नाम रजिस्टर्ड करवा लिया गया।
इस घोटाले में तत्कालीन तहसीलदार मनीष देव साहू और पटवारी विरेंद्र कुमार झा की मिलीभगत सामने आई है। जांच रिपोर्ट के बाद संभागायुक्त ने तहसीलदार के खिलाफ कारण बताओ नोटिस और पटवारी के खिलाफ निलंबन की अनुशंसा की है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
खनूजा ने 15 फरवरी 2023 को फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए नामांतरण आदेश प्राप्त किया।
दस्तावेजों में ऐसे लोगों को ज़मीन मालिक दिखाया गया जो कभी उस ज़मीन के मालिक थे ही नहीं।
बाद में एक गैर-पंजीकृत हक त्याग पत्र का सहारा लेकर 80% ज़मीन को अपने और अपने भाई के नाम रजिस्टर्ड करवा लिया।
बची हुई 20% ज़मीन के लिए फर्जी पार्टनरशिप बनाई गई।
जांच और कार्रवाई
ग्राम सेवा समिति के मंत्री अजय तिवारी ने 16 अगस्त 2024 को इसकी शिकायत संभागायुक्त महोदव कावरे से की। इसके बाद उपायुक्त ज्योति सिंह की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय जांच समिति बनी, जिसने विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है।
अब तहसीलदार और पटवारी दोनों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी है।