कवासी लखमा पर ED की कड़ी नजर, आज दस्तावेज और CA के साथ होगी पूछताछ News4u36
   
 
कवासी लखमा पर ED की कड़ी नजर, आज दस्तावेज और CA के साथ होगी पूछताछ

कवासी लखमा पर ED की कड़ी नजर, आज दस्तावेज और CA के साथ होगी पूछताछ

CG Liquor Scam : रायपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा से तीसरी बार पूछताछ करने का निर्णय लिया है। आज, 15 जनवरी 2025 को, कवासी लखमा दस्तावेज और सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंट) के साथ ईडी के दफ्तर पहुंचेंगे। इससे पहले, 9 जनवरी को ईडी ने लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा से लंबी पूछताछ की थी।

इससे पहले, 28 दिसंबर 2024 को, ईडी ने लखमा और उनके बेटे हरीश के ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान नगद लेन-देन के प्रमाण मिले थे। इसके बाद, 3 जनवरी को दोनों को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया था।

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: क्या है मामला?
शराब घोटाले की शुरुआत दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट से हुई, जब 11 मई 2022 को आयकर विभाग ने पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और सौम्या चौरसिया के खिलाफ याचिका दायर की। इसमें बताया गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत और अवैध दलाली के माध्यम से बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा था। महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर का नाम भी अवैध वसूली में सामने आया।

इसके बाद, 18 नवंबर 2022 को प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में PMLA एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। चार्जशीट में अब तक 2161 करोड़ रुपये के घोटाले का जिक्र किया गया है।

घोटाले का तरीका
चार्जशीट के मुताबिक, 2017 में आबकारी नीति में संशोधन किया गया था, ताकि CSMCL (छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड) के जरिए शराब बेची जा सके। लेकिन 2019 के बाद, अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त किया और इसके बाद एक भ्रष्टाचार का सिंडिकेट तैयार किया। यह सिंडिकेट अधिकारियों, व्यापारियों और राजनीतिक रसूख वालों के माध्यम से काम कर रहा था, जिससे 2161 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ।

CSMCL के MD रहे अरुणपति त्रिपाठी ने मनपसंद डिस्टिलर को शराब की अनुमति दी और प्रत्येक देशी शराब के केस पर 75 रुपये कमीशन लिया। इस तरह के घोटाले के जरिए CSMCL की दुकानों में बेहिसाब शराब बेची गई और राज्य को भारी नुकसान हुआ। आपराधिक सिंडिकेट के माध्यम से केवल तीन प्रमुख ग्रुप की शराब बेची जाती थी, जिनमें केडिया ग्रुप की शराब का 52 प्रतिशत हिस्सा, भाटिया ग्रुप का 30 प्रतिशत और वेलकम ग्रुप का 18 प्रतिशत हिस्सा था।

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