नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद प्रज्ज्वल रेवन्ना की जमानत याचिका खारिज कर दी है। रेवन्ना पर रेप और यौन शोषण के आरोप हैं। यह फैसला न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने लिया, जिन्होंने कहा कि रेवन्ना एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं।
रेवन्ना की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि आरोपपत्र दाखिल हो चुका है और शुरुआती शिकायत में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 नहीं थी। हालांकि, पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के जमानत न देने के 21 अक्टूबर के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
रोहतगी ने अदालत से छह महीने बाद फिर से याचिका दाखिल करने की अनुमति मांगी, लेकिन पीठ ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की और याचिका खारिज कर दी।
रेवन्ना पर यौन शोषण के चार मामलों में कर्नाटक की विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 2,144 पृष्ठों का आरोपपत्र दाखिल किया है। इनमें से एक मामला एक घरेलू सहायिका के साथ दुष्कर्म से जुड़ा है। रेवन्ना के खिलाफ दुष्कर्म के दो और यौन शोषण का एक अन्य मामला भी दर्ज है।
प्रज्ज्वल रेवन्ना होलेनरसीपुर से विधायक एच डी रेवन्ना के बेटे और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के पोते हैं।