आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के लड्डू को लेकर विवाद हो रहा है। कहा जा रहा है कि लड्डू में जानवरों की चर्बी मिली है, और इसकी वजह लड्डू में इस्तेमाल होने वाला घी बताया जा रहा है। इस मुद्दे के बाद, मंदिर प्रशासन ने फैसला किया है कि अब से लड्डू बनाने में नंदिनी ब्रांड का घी इस्तेमाल किया जाएगा। आइए, जानते हैं नंदिनी घी कैसे बना और इसे सुरक्षित रखने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
नंदिनी कैसे बना?
नंदिनी ब्रांड कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) द्वारा बनाया जाता है, जो कर्नाटक की सहकारी डेयरी संस्था है। इसकी शुरुआत 1974 में हुई थी, जब कर्नाटक में डेयरी विकास योजना शुरू की गई थी। 1984 में, यह KMF के नाम से स्थापित हुआ और अब नंदिनी नाम से दूध और घी जैसे उत्पाद बनाता है।
KMF कितना बड़ा है?
KMF भारत की दूसरी सबसे बड़ी सहकारी डेयरी संस्था है और दक्षिण भारत में पहले स्थान पर है। यह रोज़ाना 47 लाख लीटर दूध बेचता है और इसके साथ ही 65 से ज्यादा डेयरी उत्पाद जैसे दही, मिठाई, आइसक्रीम आदि बनाता है। इसके पास 15,763 डेयरी समितियां हैं, जो कर्नाटक के गांवों और शहरों में दूध की सप्लाई करती हैं।
तिरुपति मंदिर में नंदिनी घी का उपयोग
करीब 50 सालों तक तिरुपति मंदिर में घी की आपूर्ति KMF ही करता रहा। हालांकि, दूध की बढ़ती कीमतों के कारण कुछ समय के लिए अन्य कंपनियों ने घी की आपूर्ति शुरू की थी। लेकिन अब अगस्त से फिर से नंदिनी घी का इस्तेमाल मंदिर में हो रहा है।
नंदिनी घी की शुद्धता कैसे सुनिश्चित हो रही है?
नंदिनी ब्रांड ने मंदिर के लिए भेजे जाने वाले घी की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए कुछ खास कदम उठाए हैं। अब घी ले जाने वाले टैंकरों में GPS और इलेक्ट्रॉनिक लॉक लगाए जाएंगे। इन टैंकरों को केवल मुख्यालय से जारी होने वाले OTP से ही खोला जा सकेगा, जिससे यह सुनिश्चित हो कि घी सुरक्षित और शुद्ध रहे।
लड्डू विवाद क्या है?
तिरुपति मंदिर में दिए जाने वाले लड्डुओं में जानवरों की चर्बी, जैसे बीफ टैलो, सूअर की चर्बी और मछली के तेल की मिलावट का दावा किया गया है। इस मामले की जांच चल रही है, और राज्य सरकार से इस पर जवाब मांगा गया है।