Parliament Winter Session 2025: संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन लोकसभा में भारी हंगामा देखने को मिला। कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होते ही विपक्षी सांसद SIR (Special Intensive Revision) और Vote Chori के मुद्दे पर जोरदार विरोध प्रदर्शन करने लगे। कई विपक्षी सांसद वेल में पहुंच गए और लगातार “वोट चोर-गद्दी छोड़” के नारे लगाते रहे। लगभग 20 मिनट तक जारी इस हंगामे के बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी।
संसद परिसर में विपक्ष का प्रदर्शन तेज
कार्यवाही स्थगित होने के बाद कांग्रेस, डीएमके और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद कैंपस में प्रदर्शन किया।
इस प्रदर्शन में सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी वाड्रा, टी. आर. बालू समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। सभी नेताओं ने “SIR वापस लो” के नारे लगाते हुए सरकार पर संसद में चर्चा से भागने का आरोप लगाया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए विरोध जरूरी है, जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार को तानाशाही की ओर बढ़ने वाला बताया। उन्होंने कहा कि सरकार चर्चा से बच रही है, इसलिए संसद नहीं चल पा रही है।
प्रियंका ने कहा—“लोकतंत्र बहस और संवाद से ही मजबूत होता है, विपक्ष को दोष देना आसान है लेकिन चर्चा से भागना ठीक नहीं।”
प्रियंका गांधी ने ‘संचार साथी ऐप’ को बताया जासूसी ऐप
दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा मोबाइल फोनों में ‘संचार साथी ऐप’ प्री-इंस्टॉल करने के निर्देश पर प्रियंका गांधी ने कड़ी आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा—
“यह एक जासूसी ऐप है। हर नागरिक को गोपनीयता का अधिकार है। परिवार और दोस्तों से सुरक्षित तरीके से बात करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।”
रेणुका चौधरी ने संचार साथी एप के खिलाफ स्थगन प्रस्ताव दिया
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और सांसद रेणुका चौधरी ने लोकसभा में ‘संचार साथी ऐप’ के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव दिया।
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 में नागरिकों को गोपनीयता का अधिकार दिया गया है, लेकिन सरकार का यह फैसला सीधे-सीधे इस अधिकार का उल्लंघन करता है।
रेणुका चौधरी ने कहा—
“मोबाइल कंपनियों को यह आदेश देना कि वे फोन में संचार साथी ऐप को प्री-इंस्टॉल रखें और उसे हटाया भी न जा सके, नागरिकों की प्राइवेसी पर हमला है। इससे लोगों पर लगातार निगरानी बढ़ाने का रास्ता खुलता है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि न तो इस ऐप के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं और न ही इस पर कोई संसदीय निगरानी मौजूद है, जिससे नागरिकों की गतिविधियों पर नजर रखे जाने का खतरा बढ़ जाता है।
