रायपुर: धरसींवा ब्लॉक के मटिया गांव में एक बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए 15 वर्ष की नाबालिग का बाल विवाह रोका गया। यह घटना तब प्रकाश में आई जब कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह को खबर मिली कि गांव में बाल विवाह की तैयारी चल रही है। उन्होंने तुरंत बाल संरक्षण और पुलिस विभाग की एक टीम को मौके पर भेजा। टीम ने मौके पर पहुंचकर परिवार को समझाया और नाबालिग की शादी रुकवाई।
बाल विवाह के गंभीर दुष्परिणाम होते हैं। यह न सिर्फ बच्चों के बचपन को छीन लेता है, बल्कि उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास पर भी गहरा असर डालता है। इसके बावजूद, कई स्थानों पर बाल विवाह अब भी होते हैं, क्योंकि कानूनों को सख्ती से लागू नहीं किया जाता। भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत पुरुषों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई है।