सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश सूर्यकांत ने आज भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। उन्होंने न्यायमूर्ति बी.आर. गवई का स्थान लिया, जो रविवार को सेवानिवृत्त हुए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित औपचारिक समारोह में न्यायमूर्ति सूर्यकांत को हिंदी भाषा में शपथ दिलाई, जबकि अधिकांश CJI पारंपरिक रूप से अंग्रेजी में शपथ लेते रहे हैं।
नए मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल 24 नवंबर 2025 से 9 फरवरी 2027 तक रहेगा।
शपथ समारोह में भावनात्मक पल, पूर्व CJI ने लगाया गले
शपथ ग्रहण के बाद न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से औपचारिक रूप से मुलाकात की।
इसके बाद वे अतिथियों का अभिवादन करने पहुंचे, जहां पूर्व CJI बी.आर. गवई ने उन्हें गले लगाकर बधाई दी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने शपथ के बाद अपने परिजनों और बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया।
इस समारोह में भूटान, नेपाल, श्रीलंका, केन्या, ब्राजील, मॉरीशस, मलेशिया सहित कई देशों के मुख्य न्यायाधीशों ने उपस्थिति दर्ज कराई—यह पहली बार था जब किसी CJI के शपथ ग्रहण में विदेशी न्यायिक प्रतिनिधिमंडल शामिल हुआ।
लाखों लंबित मामलों को कम करना होगी शीर्ष प्राथमिकता
शपथ से एक दिन पहले दिल्ली स्थित अपने आवास पर कानूनी पत्रकारों से बातचीत में न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा था कि उनका मुख्य ध्यान देशभर की अदालतों में लाखों लंबित मामलों को तेजी से निपटाने पर रहेगा।
उन्होंने वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) और मध्यस्थता को न्याय व्यवस्था में परिवर्तनकारी कदम बताया और कहा कि इसे प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा ताकि आम नागरिकों को कोर्ट के बाहर भी न्याय मिल सके।
महत्वपूर्ण संवैधानिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं न्यायमूर्ति सूर्यकांत
जस्टिस सूर्यकांत अब तक कई ऐसी संवैधानिक पीठों का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने देश के लिए अहम निर्णय सुनाए। उनके नाम से जुड़े प्रमुख फैसले:
अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला
पेगासस जासूसी मामले में विशेषज्ञ समिति बनाने का आदेश
औपनिवेशिक देशद्रोह कानून (IPC 124A) को स्थगित करने का फैसला
वन रैंक-वन पेंशन (OROP) योजना को संवैधानिक रूप से वैध ठहराना
कुल मिलाकर वे 1,000 से अधिक संवैधानिक, मानवाधिकार और प्रशासनिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं।
कौन हैं न्यायमूर्ति सूर्यकांत?
जन्म: 10 फरवरी 1962, हिसार, हरियाणा
शिक्षा: 1981 में हिसार के सरकारी कॉलेज से स्नातक; 1984 में MDU रोहतक से कानून की डिग्री
करियर शुरुआत: 1984 में हिसार जिला अदालत से वकालत
1985: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस
