शारदीय नवरात्रि का शुभ 15 अक्टूबर 2023 को प्रारंभ हो गई है।
माता को विराजमान हुए आज पंचम दिवस 19 अक्टूबर अर्थात् पंचमी है।
शारदीय नवरात्रि में माता दुर्गा के चार स्वरूप माता शैलपुत्री, माता ब्रह्मचारिणी, माता चंद्रघंटा, माता कूष्माण्डा के बाद नवरात्रि के पंचमी को माता दुर्गा के स्वरूप स्कन्द माता की पूजा की जाती है।
माता का स्कन्द माता नाम क्यों है?(Why is mother named Skanda Mata?)
पौराणिक कथाओं के अनुसार ताड़कासुर नामक एक दैत्य ने ब्रम्ह देव की तपस्या कर वरदान प्राप्त किया था, कि उसकी मृत्यु भगवान् शिव के पुत्र के हाथो से हों तब भगवान् स्कन्द शिव और माता पार्वती के विवाह से स्कन्द षडंडन (छ: मुख वाले) कुमार कार्तिकेय का जन्म हुआ। जो देव- असुर संग्राम में देव सेनपती थे। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण स्कंदमाता के रूप पंचमी को पूजा की जाती है।
स्कन्दमाता वात्सल्य की मूरत है( Skandamata is the embodiment of love)
स्कंदमाता कुमार कार्तिकेय को गोद में लिए कमल में विराजमान माता कि पूजा करने से स्वयं ही स्कंद कुमार की भी पूजा हों जाती है जो माता कि गोद में बैठा है साथ ही माता कि पूजा करने से वात्सल्य (संतान) की प्राप्ति होती है।
माता स्कंद के मंत्र (Mantras of Mata Skanda)
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
स्कंदमाता के भोग(Bhog of Skandamata)
माता को केला फल का भोग अतिप्रिय है। अगर आपके पास केला का फल नही है तो आप बतासे भी माता के भोग मे शामिल कर सकते हैं।