नई दिल्ली। Hindenburg Research Shut down:अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अब अपना सफर खत्म करने का फैसला किया है। कंपनी के संस्थापक नाथन एंडरसन ने बुधवार देर रात इसकी घोषणा की। उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा,
“हमने अपने तय किए गए सभी लक्ष्य पूरे कर लिए हैं। अब कंपनी को बंद करने का सही समय आ गया है।”
नाथन ने साफ किया कि इस फैसले के पीछे कोई निजी या स्वास्थ्य संबंधी कारण नहीं है।
2017 में हुई थी शुरुआत, मचाई थी सनसनी
हिंडनबर्ग रिसर्च ने 2017 में अपनी यात्रा शुरू की और जल्दी ही दुनियाभर में चर्चित हो गई। कंपनी ने कई दिग्गज कंपनियों के खिलाफ बड़े खुलासे किए, जिनमें अडाणी ग्रुप और इकान इंटरप्राइजेज शामिल हैं।
जनवरी 2023 में अडाणी ग्रुप के खिलाफ रिपोर्ट ने भारत में बड़ा विवाद खड़ा किया।
कंपनी ने आरोप लगाया कि अडाणी ग्रुप की मार्केट वैल्यू गलत तरीके से बढ़ाई गई है।
इसके बाद अडाणी ग्रुप की मार्केट वैल्यू में अरबों डॉलर की गिरावट आई।
अगस्त 2024 में हिंडनबर्ग ने दावा किया कि SEBI चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति की अडाणी ग्रुप की ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी है। यह रिपोर्ट भी बड़ी सुर्खियों में रही।
हिंडनबर्ग नाम के पीछे की कहानी
हिंडनबर्ग रिसर्च का नाम 1937 में हुए हिंडनबर्ग एयरशिप हादसे पर रखा गया है। उस समय जर्मनी का एक बड़ा हवाई जहाज “हिंडनबर्ग” क्रैश हो गया था, जिसमें 35 लोगों की मौत हो गई थी।
नाथन एंडरसन ने इस घटना से प्रेरित होकर कंपनी का नाम रखा। उनका कहना था कि:
“हम फाइनेंशियल वर्ल्ड में हो रही अनियमितताओं और घोटालों को उजागर करना चाहते थे, ताकि भविष्य में ऐसे ‘क्रैश’ रोके जा सकें।”
क्यों चर्चा में रही हिंडनबर्ग रिसर्च?
शॉर्ट-सेलिंग की रणनीति:
कंपनी ने उन कंपनियों पर फोकस किया, जो बाजार में गड़बड़ियां कर रही थीं।
बड़ी रिपोर्ट्स:
हिंडनबर्ग की हर रिपोर्ट ने कंपनियों को भारी नुकसान पहुंचाया।
अडाणी ग्रुप पर खुलासे:
इस रिपोर्ट ने भारत में निवेश और बाजार की विश्वसनीयता पर बहस छेड़ दी।