पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) नवीन चावला का शनिवार को दिल्ली में निधन हो गया। वे 79 वर्ष के थे। चावला को सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
नवीन चावला ने 16 मई, 2005 को चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यभार संभाला और अप्रैल 2009 तक इस पद पर बने रहे। इसके बाद, उन्होंने 29 जुलाई 2010 तक मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के रूप में कार्य किया। उन्होंने 2009 में हुए लोकसभा चुनाव की देखरेख की थी, जो भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हुआ।
पूर्व CEC एसवाई कुरैशी का शोक संदेश
चावला के निधन पर उनके साथ काम करने वाले पूर्व CEC एसवाई कुरैशी ने कहा, “उनके साथ चार साल काम करना खुशी की बात थी। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत अच्छा था, और वे हमेशा मदद करने के लिए तैयार रहते थे। हालांकि मैंने उनके बारे में पक्षपाती होने की कहानियाँ सुनी थीं, लेकिन उनके साथ काम करने के दौरान मुझे कभी ऐसा अनुभव नहीं हुआ।”
चावला का कार्यकाल और विवाद
चावला का कार्यकाल कुछ विवादों से भी घिरा रहा। 2009 में, तत्कालीन CEC एन गोपालस्वामी ने सरकार से चावला को चुनाव आयुक्त पद से हटाने की सिफारिश की थी, क्योंकि भाजपा ने उन पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया था। इसके अलावा, 2006 में, NDA नेताओं ने चावला को हटाने की मांग करते हुए राष्ट्रपति को याचिका दी थी।
चावला की विशेष उपलब्धियाँ
चावला के कार्यकाल के दौरान, चुनाव आयोग ने कई महत्वपूर्ण बदलाव किए। विशेष रूप से, उन्होंने तीसरे लिंग के मतदाताओं के लिए “अन्य” श्रेणी की शुरुआत की, जो पुरुष और महिला के अलावा एक नया विकल्प था। चावला ने 2009 में लोकसभा और 7 राज्यों में विधानसभा चुनाव आयोजित किए, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ।
चुनाव आयोग का शोक
चावला के निधन पर चुनाव आयोग ने भी शोक व्यक्त किया और कहा कि उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। उनके नेतृत्व में हुए चुनावों ने भारतीय चुनाव प्रक्रिया को नया दिशा दी और लोकतंत्र को मजबूती दी।