भारतीय पहलवान बजरंग पुनिया को नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) ने 4 साल के लिए निलंबित कर दिया है। यह सजा उन्हें इस साल मार्च में डोप टेस्ट के लिए अपना नमूना देने से इनकार करने के कारण मिली है। इस फैसले के बाद, उनके करियर पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है क्योंकि अब वह न तो किसी टूर्नामेंट में भाग ले पाएंगे और न ही कोचिंग दे सकेंगे।
बजरंग पुनिया पर बैन का पूरा मामला
NADA ने 26 नवंबर को बजरंग पुनिया को 10 मार्च को डोप टेस्ट देने से मना करने के लिए चार साल के लिए सस्पेंड कर दिया। इससे पहले, NADA ने उन्हें 23 अप्रैल को अस्थाई रूप से निलंबित किया था, और वर्ल्ड कुश्ती संस्था UWW ने भी उनका बैन लागू कर दिया था। बजरंग ने इस बैन के खिलाफ अपील की थी, लेकिन 31 मई को NADA के पैनल ने इसे खारिज कर दिया।
बजरंग पुनिया की कुश्ती यात्रा
बजरंग पुनिया ने अपनी कठिन मेहनत और संघर्ष से कुश्ती की दुनिया में खुद को साबित किया है। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया था। हरियाणा के झज्जर जिले में एक साधारण परिवार में जन्मे बजरंग के पिता खुद एक पहलवान थे। बजरंग ने 14 साल की उम्र में अखाड़े में कुश्ती की ट्रेनिंग शुरू की थी और जल्द ही ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त के मार्गदर्शन में कुश्ती की बारीकियां सीखी थीं।
बजरंग पुनिया ने 2013 में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप और विश्व चैम्पियनशिप में 60 किग्रा फ्रीस्टाइल भार वर्ग में कांस्य पदक जीतकर अपनी पहचान बनाई थी।