भारत के प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का शनिवार को मुंबई के जसलोक अस्पताल में 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका योगदान भारतीय परमाणु कार्यक्रम में महत्वपूर्ण था, विशेष रूप से पोखरण परमाणु परीक्षणों में।
चिदंबरम का जन्म 11 नवंबर 1936 को चेन्नई में हुआ था। उन्हें 1974 और 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षणों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है। वह भारत के परमाणु हथियार कार्यक्रम के मुख्य वास्तुकार थे और उन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम योगदान दिया।
पोखरण परमाणु परीक्षणों में अहम भूमिका
पोखरण-I (1974) और पोखरण-II (1998) के परमाणु परीक्षणों में चिदंबरम की प्रमुख भूमिका रही। उन्होंने 1974 में बॉम्बे से पोखरण तक प्लूटोनियम ले जाने वाले सैन्य ट्रक में यात्रा की थी, जो इस गुप्त कार्यक्रम का हिस्सा था। इस कार्यक्रम को 1974 से 1998 तक गुप्त रखा गया था, और चिदंबरम ने इसके बारे में अपनी पुस्तक इंडिया राइजिंग: मेमोयर्स ऑफ ए साइंटिस्ट में विस्तार से बताया था।
पुरस्कार और सम्मान
चिदंबरम को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था, जिनमें 1975 में पद्म श्री और 1999 में पद्म विभूषण शामिल हैं।
सार्वजनिक जीवन और अन्य योगदान
चिदंबरम ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के निदेशक के रूप में कार्य किया और परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के सचिव के रूप में भी अपनी सेवाएं दी। इसके अलावा, वह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष भी रहे थे।
शोक संदेश
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने चिदंबरम के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के नेतृत्वकर्ता और हथियारों के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले चिदंबरम का निधन हमारी राष्ट्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है।”