भारत की आधिकारिक प्रविष्टि, किरण राव की व्यंग्यात्मक फिल्म ‘लापता लेडीज’, 97वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर श्रेणी की शॉर्टलिस्ट में जगह बनाने में नाकाम रही। इस फैसले ने न केवल सिनेमा प्रेमियों को निराश किया, बल्कि फिल्म जगत के दिग्गजों ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की।
हंसल मेहता और रिकी केज ने साधा निशाना
फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने इस फैसले पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (FFI) की आलोचना की। उन्होंने कहा कि FFI का साल-दर-साल खराब चयन भारत के सिनेमा के लिए नुकसानदायक है।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर लिखा,
“FFI ने फिर से ऐसा कर दिखाया! उनका स्ट्राइक रेट और फिल्मों का चयन वाकई बेजोड़ है।”
रिकी केज, ग्रैमी पुरस्कार विजेता संगीतकार, ने भी इस निर्णय पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ‘लापता लेडीज’ एक मनोरंजक फिल्म है, लेकिन ऑस्कर जैसी प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व के लिए यह सही विकल्प नहीं था।
रिकी ने आगे कहा,
“हमें हर साल बेहतरीन फिल्मों को भेजने पर ध्यान देना चाहिए। हम मुख्यधारा की बॉलीवुड फिल्मों के दायरे से बाहर निकलने में असमर्थ हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीतने के लिए हमें उत्कृष्ट कलात्मक फिल्मों की जरूरत है।”
‘लापता लेडीज’ को क्यों चुना गया?
सितंबर में FFI ने 29 फिल्मों की सूची में से सर्वसम्मति से ‘लापता लेडीज’ को चुना। इस सूची में बॉलीवुड हिट ‘एनिमल’, मलयालम राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ‘आट्टम’, और कान्स विजेता ‘ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट’ भी शामिल थीं।
हालांकि, कई सिनेमा प्रेमियों और विशेषज्ञों का मानना था कि ‘ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट’ या अन्य फिल्में अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेहतर विकल्प साबित हो सकती थीं।
भारतीय फिल्मों के चयन पर सवाल
हंसल मेहता और अन्य सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने FFI की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए। एक यूजर ने लिखा,
“भारतीय फिल्में लगातार चूक रही हैं। क्या हमने कभी सीखा कि अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को क्या पसंद आता है?”
एक अन्य यूजर ने 1995 की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि ‘बैंडिट क्वीन’ जैसी मजबूत फिल्म को नजरअंदाज करना बड़ी भूल थी। उस समय ‘कुरुथिपुनल’ को भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में भेजा गया था।
दुनिया की नजरें अन्य फिल्मों पर
जहां ‘लापता लेडीज’ शॉर्टलिस्ट में जगह नहीं बना सकी, वहीं ब्रिटिश-भारतीय फिल्म निर्माता संध्या सूरी की फिल्म ‘संतोष’ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी। यह फिल्म भारत के बजाय यूके का प्रतिनिधित्व कर रही है।
ऑस्कर 2025 में जगह बनाने वाली अन्य फिल्मों में शामिल हैं:
फ्रांस: एमिलिया पेरेज़
ब्राजील: आई एम स्टिल हियर
कनाडा: यूनिवर्सल लैंग्वेज
जर्मनी: द सीड ऑफ द सेक्रेड फिग
आगे का रास्ता
FFI और भारतीय फिल्म उद्योग के लिए यह वक्त आत्ममंथन का है। हर साल की गलतियों से सीखकर भारत को ऐसी फिल्में चुननी होंगी जो न केवल भारतीय दर्शकों का दिल जीतें, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी पहचान बना सकें।
ऑस्कर 2025 के लिए नामांकन 17 जनवरी को घोषित किए जाएंगे। तब तक, सिनेमा प्रेमी इस बहस में उलझे रहेंगे कि आखिर सही विकल्प क्या था।