बच्चे के भविष्य निर्माण में पेरेंट्स का महत्वपूर्ण योगदान होता है,ऐसे में जब बच्चों के मूड में बदलाव आए तो तुरंत पेरेंट्स को होना चाहिए सतर्क, कहीं बन न जाए मुसीबत..
सामान्य तौर पर देखा जाता है कि मूड स्विंग जैसी चीजे टीनेजर्स और महिलाओं में अधिक होता है।इससे हार्मोन में थोड़े बदलाव को समझा जा सकता है। वहीं बच्चे की यदि बात करें, तो बहुत से लोगो को इस बात पर यकीन ही नहीं होगा की, उन्हें भी इस तरह की परेशानियां हो सकती हैं।
जबकि विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों में भी मूड स्विंग होता है। लेकिन, पेरेंट्स इसे हल्के में लेते हैं या फिर इस बात पर विशेष ध्यान नहीं देते हैं।किंतु उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि बच्चे उस स्थिति में होते है की वे मूड में हो रहे बदलाव को समझ ही नहीं पाते हैं। ऐसे में सभी पेरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि, वे अपने बच्चे के मूड स्विंग को पहचानने का प्रयास करे।
यदि आप बच्चे के मूड स्विंग को समझ नही पा रहे हैं तो आइए हम आपको कुछ ऐसे संकेत बताते हैं, जिनसे ये जानने में आसानी होगी कि कहीं बच्चा मूड स्विंग से तो नहीं गुजर रहा है।
उदास या गुमसुम रहना-
बच्चा यदि टीनएज की उम्र से कम है, तो भी ये जान लीजिए कि वे भी मूड स्विंग जैसी चीजों से गुजरते है। मूड स्विंग की वजह से बच्चा एकदम से उदासीन रहने लग जाता है। दूसरों से उसकी बातचीत बंद हो जाती है। यहां तक कि वह अपने मन की बात भी अपने पैरेंट्स,दोस्तों और भाई-बहनों से शेयर नहीं करता है।
असल में बच्चा खुद ही अपने इस बदलाव को समझ नहीं पाता की उसके साथ ये क्यों हो रहा है। ऐसे में पेरेंट्स थोड़े सतर्क होकर बच्चे से बातचीत कर, उसके मूड स्विंग को पहचानने का प्रयास कर सकते हैं।
आत्मविश्वास में कमी-
खेलने कूदने में मस्त रहने वाला बच्चा,अचानक से उसको कोई भी चीज अच्छा नहीं लगता है। ऐसा हार्मोनल बदलाव की वजह से होता है। आपके बच्चे के साथ भी यदि ऐसा हो रहा है तो, हो सकता है उसमे आत्मविश्वास की कमी महसूस हो रही है,पैरेंट्स इसकी अनदेखी न करें। बच्चे को थोड़ा समय दे और उसकी पसंदीदा हॉबी या एक्टिविटी में भाग लें। धीरे-धीरे बच्चे में सकारात्मक बदलवा दिखेंगे।
थका सा महसूस करना-
मूड स्विंग का एक लक्षण यह भी है कि बच्चा न सिर्फ दूसरे लोगो से थोड़ा कटने लगता है, बल्कि अक्सर थका हुआ महसूस करने लगता है।इस स्थिति में उसे खेलना-कूदना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है।
इसके विपरीत,बच्चा अगर खेलता भी है, तो दूसरे बच्चों की अपेक्षा वह थोड़ा जल्दी थक जाता है।इस अवस्था में पेरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे की डाइट सही हो और उन्हें ऐसी चीजों से दूर रखा जाए जो की डिमोटिवेट करती ।
चिड़चिड़ापन –
मूड स्विंग का एक संकेत चिड़चिड़ा होना भी है। बच्चा बात-बात पर उखड़ने लगे, फिजूल की जिद कर अपनी बात मनवाने के लिए कई तरकीबे अपनाए तो। ये पेरेंट्स के लिए एलर्ट होने का संकेत है।
मूड स्विंग के कारण बच्चा न चाहकर भी ऐसे पेश आने लग जाता है,यदि ऐसा ही होता रहा तो बच्चा पेरेंट्स के लिए आगे परेशानी खड़ी कर सकता हैं। पेरेंट्स को चाहिए कि वे धैर्य से अपने बच्चे के साथ बात कर इसका हल ढूंढे।
गुस्सैल स्वभाव का होना-
मूड स्विंग ज्यादा गुस्से का कारण भी बन सकता है। ध्यान रहें कि गुस्सा आया तो ये कोई गलत बात नहीं है। अपनी बात रखने का ये भी एक तरीका है।लेकिन बच्चा गुस्से में चीजों को तोड़ने फोड़ने लगे, अपने पेरेंट्स को भला बुरा बोलने लगे, तो यह ठीक नहीं है
मूड स्विंग में बच्चा अपने इमोशंस पर काबू नहीं कर पाता है। ऐसे में वह गुस्सैल प्रवृत्ति का हो जाता है। मगर गुस्सा होने पर उसको डांटना-फटकारना उसपर गलत प्रभाव डाल सकता है है। बच्चे से धैर्यपूर्वक बात कर इस समस्या का समाधान ढूंढे।